हमारी धर्म-निर्पेक्ष कानून व्यवस्था तभी जागती है जब अल्प-संख्यक वर्ग को कोई आपत्ति हो।
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२. इन देशों में लोकतान्त्रिक एवं मानवीय मूल्यों को सशक्त किया जाए और समाज के हाशिये पर रह रहे वर्गों के लिये सामाजिक एवं कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाए, जिनमें महिलाएं, दलित, और अन्य धार्मिक और प्रजातीय अल्प-संख्यक वर्ग शामिल हैं.
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२. इन देशों में लोकतान्त्रिक एवं मानवीय मूल्यों को सशक्त किया जाए और समाज के हाशिये पर रह रहे वर्गों के लिये सामाजिक एवं कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाए, जिनमें महिलाएं, दलित, और अन्य धार्मिक और प्रजातीय अल्प-संख्यक वर्ग शामिल हैं.